September 12, 2025
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कृति सनोन ने एक बार फिर बॉलीवुड की सबसे बड़ी समस्या “पगार-पैरीटी” पर दिल छू लेने वाली बात कही है। उन्होंने साफ़ कहा कि महिला कलाकारों वाली फिल्मों को बड़ा बजट देने से निर्माता डरते हैं, जो दर्शाता है कि इस इंडस्ट्री में महिलाओं को बराबर का सम्मान और आर्थिक समर्थन नहीं मिल पा रहा है। आइए इस मुद्दे को विस्तार से समझते हैं।

जलन की पहली चिंगारी

कृति ने टीवी पर यह बात रखते हुए बॉलीवुड के बड़े प्रोड्यूसर्स को चुनौती दी कि वे महिलाओं वाली फिल्मों को बराबर का बजट देने से क्यों डरते हैं। उनकी आवाज़ ने कम बजट वाली महिला-लीड फिल्मों के खिलाफ समाज की ज़हरीली सोच को उजागर किया।

फिल्म इंडस्ट्री का लैंगिक भेदभाव

बॉलीवुड में:

  • पुरुष कलाकारों वाली फिल्मों को अधिक बजट मिलता है, जिससे उनकी चमक और सफलता बढ़ती है।
  • महिला कलाकारों वाली फिल्मों को अक्सर छोटा बजट दिया जाता है, जिससे उनकी फिल्में कम प्रभावी बन पाती हैं।
  • इससे लैंगिक समानता का सपना अधूरा रह जाता है, क्योंकि आर्थिक संसाधनों की कमी महिलाओं की संभावनाओं को सीमित करती है।

सामाजिक प्रतिक्रिया और माहौल

इस मुद्दे पर समाज की प्रतिक्रिया भी जटिल है:

  1. कुछ लोग कृति की बातों का समर्थन करते हैं और कहते हैं कि महिलाओं को भी उतना ही अधिकार मिलना चाहिए जितना पुरुषों को।
  2. वहीं, कुछ पारंपरिक सोच वाले लोग और निर्माता इस बदलाव को स्वीकार नहीं करते, और पुराने नियमों पर कायम रहना चाहते हैं।
  3. मोहल्ले और सोशल मीडिया पर इस विषय पर अक्सर बहस होती रहती है, जिसमें जलन और असमानता के पहलू उजागर होते हैं।

बॉलीवुड निर्माता और प्रोड्यूसर की भूमिका

निर्माताओं और प्रोड्यूसरों के लिए यह चुनौती है कि वे:

  • अपने बजट आवंटन में बदलाव करें।
  • महिला कलाकारों वाली फिल्मों को उतना समर्थन दें जितना पुरुषों को दिया जाता है।
  • इस प्रकार लेबलिब्रियम बनाए रखने की दिशा में कदम बढ़ाएँ ताकि पूरी इंडस्ट्री समान रूप से विकसित हो सके।

समाज में फैली “जलन” की आग

महिला कलाकारों को बड़ा बजट नहीं देने की यह समस्या केवल फिल्म जगत तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह हमारे समाज के हर हिस्से में व्याप्त है। अनजाने में चलने वाली ये “जलन-चिंगारियाँ” महिला सशक्तिकरण की राह में रोड़ा डालती हैं, जिन्हें हटाना एक सामूहिक प्रयास से ही संभव है।

निष्कर्ष

कृति सनोन की आवाज़ केवल एक अभिनेत्री की नहीं, बल्कि उन तमाम महिलाओं की आवाज़ है जो बराबरी के हक़दार हैं। महिला कलाकारों को बड़ा बजट मिलना चाहिए ताकि वे भी अपनी कला और प्रतिभा को पूरी तरह से प्रदर्शित कर सकें। बॉलीवुड और समाज दोनों को मिलकर इस असमानता को दूर करना होगा और महिलाओं को बराबर का मंच प्रदान करना होगा।

आइए, हम सब मिलकर इस बदलाव का समर्थन करें और एक ऐसा माहौल बनाएं जहाँ कलाकारों को बिना किसी भेदभाव के उनके संपूर्ण हक़ और सम्मान मिल सके।

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