
🔥जलन की पहली चिंगारी🔥
अरे वाह! यहाँ तो खबर आई कि हमारे प्यारे सूरजवंशी के दिग्गज अभिनेता, अशिष वरांग, 55 की उम्र में इस दुनिया से रूखसत हो गए! उफ़्फ, मेरी तो जलन-जलेबी घुल गई… इतनी जल्दी? मनो जूरीकंडीशनर भी पिघल गया। कहते हैं, चमकती हुई सफलता दिखाई और उसने हमारे दिलों में ऐसी लहरें पैदा की कि कौन भूल पाएगा! पण अरे, अब कौन दिखाएगा वो दमदार एक्टिंग, वो मराठी सिनेमा में वो ख़ास अंदाज़? WhatsApp वाली बुआ बोली है कि उनके जैसे कलाकार अब कम मिलेंगे।
😏गुड्डू की मम्मी का मुँह 180° टेढ़ा😏
गपशप की गलियों में सुनो सुनो, कहा जा रहा है कि सूरजवंशी में उनका किरदार इतना दमदार था कि पड़ोस की बिच्छू आंटी तक ने कहा, “देखो तो सही, बिना फ्लैश के भी चमक गया ये कलाकार!” क्या बताएं, उनके जाने से जैसे मोहल्ले का रंग ही फीका पड़ गया। और हाँ, सुनो यह भी कि मराठी फिल्मों में तो उनकी एक्टिंग का जलवा देखकर तो कई नये कलाकार जलते-जुलते झर गए।
🤯इन्फ्लुएंसर्स vs. आम आदमी—कौन जले ज़्यादा?🤯
अब सोचो, सोशल-मीडिया के ज़माने में लोग खुद को सितारा बनाने में लगे हैं, लेकिन असली सितारे तो वहीं होते हैं जो हमारे दिलों में जगह बनाते हैं। अशिष वरांग ने जो छाप छोड़ी, वो कहीं और से नहीं मिलती। उफ़्फ, जमाना तो सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर की चमक पर जलता है, लेकिन असली जलन तो तब होती जब कोई असली कलाकार इस दुनिया से चला जाता है और उसकी याद में आँखें नम हो जाती हैं। मनो, दिल के सारे इंस्टा फिल्टर्स भी फीके पड़ जाएँ।
🔥सोशल-मीडिया का नमक🔥
इतना बड़ा नाम छोड़ा उन्होंने हमें, और देखो इस डिजिटल युग में जैसे हर कोई उनको ट्रिब्यूट दे रहा है। सोशल मीडिया पर पोस्ट, कमेन्ट्स और यादों की बारिश! लेकिन गपशप की गलियों में चर्चा ये भी है कि उनके चले जाने से क्या अब सूरजवंशी की चमक भी फीकी पड़ जाएगी? आंटी बोलीं, “अरे बेटा, जितना इनकी एक्टिंग में दम था, उससे ज्यादा तो हमारी जलन में झनझनााहट थी!” फुस्स…
😒आंटी लोगों की आख़िरी फूँ-फाँ😒
तो अब जब अशिष वरांग नहीं रहे, तो पड़ोसन के चूल्हे-चौकों पर क्या होगा? आंटी लोग कहती हैं, “पहले तो उनका जलवा था, अब बस यादों में ही रह गया। अब हम सबको भी अपनी एक्टिंग सुधारनी पड़ेगी, ताकि उनकी तरह चमकें!” एक तरफ तो राहत है कि उनकी रूह को शांति मिली, दूसरी ओर हमारे दिलों में गहरा जलन-सा घाव। अरे भाई, मनो उनसे सीखो कि कैसे अपनी चमक से सबको जलाया जाए और यादों में बसे रहो।
आखिर में, तो बस यही कहना है कि जीवन की अस्थायी चमकें हैं ये सब, पर अशिष वरांग जैसे कलाकार सदाबहार हवाओं की तरह हमारे दिलों में बस जाते हैं। जलन हो या श्रद्धांजलि, सब कुछ हमें सिखाता है कि असली सितारा वही जो दिलों की रोशनी बन सके। अब हम भी दही-शक्कर खाकर लाइक्स बटोरने चलें…
अगली ज़ोरदार जलन के लिए पढ़ते रहिए Jelousy News!