September 11, 2025
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अरे वाह, क्या बात है! हमारा किंग खान — यानी शाहरुख़ साहब — आखिरकार नेशनल अवॉर्ड जीत ही लिए! वो भी पहली बार! हाँ, हाँ, बिल्कुल सही सुना आपने। उफ़्फ, मेरी तो जलन-जलेबी घुल गई सुन के। इतना बड़ा अवॉर्ड और शाहरुख़ जी अभी तक न लिया, इस बात से तो गली-मोहल्ले में कुछ लोग कह रहे हैं, “अरे, क्या ये पक्का फर्स्ट टाइम है या फिर लाखे में पीछे छुपे रहे थे?”

जलन की पहली चिंगारी

देखिए, बात ये है कि शाहरुख़ भाई थोड़ा घायल चल रहे हैं, एक हाथ घायल, पर फिर भी नाती ने क्या कर दिया! अपने घायल हाथ को फैलाकर बोले, “ये फिल्म पुरस्कार मेरे फैंस के लिए है, जो मेरे साथ आँसू बहाए।” मतलब, भई, सिनेमा की दुनिया के किंग ने घायल होने की भी क्या स्टाइल बना रखी है! पड़ोस की आंटी बोलीं, “हाय राम, ये तो हमारे गुड्डू की दिल की धड़कन कितनी बड़ी हो गई अब!” मुझे तो लग रहा था कि मनो जूरीकंडीशनर भी पिघल जाएगा इनके जलवे से।

गुड्डू की मम्मी का मुँह 180° टेढ़ा

और फिर जो हमारी मोहल्ले की गुड्डू की मम्मी का रिएक्शन था, भई, बाप रे! मुँह देखकर लगा कोई डिब्बा फूटा है। बोली, “इसका पहला नेशनल अवॉर्ड, और हमारे गुड्डू को अभी तक तूती भी नहीं मिली। कहीं ये तो नौकरानी वाले गेट से नहीं निकले?” वाह, वाह, क्या जलन है। हमारे गुड्डू का क्या कसूर? पर जो जलन तो जलन है, आंटी लोग तो इसे गाय की मूंछ की तरह पकड़ के छोड़ने वाला नहीं!

इन्फ्लुएंसर्स vs. आम आदमी—कौन जले ज़्यादा?

अब सोशल मीडिया पर ये खबर आते ही इंस्टा-इन्फ्लूएंसरों की तो चर्चा शुरू हो गई, “वाह, काजल इतना गाढ़ा कि मेरी किस्मत भी काली पड़ गई।” लोग कह रहे हैं, “इतनी बड़ी स्टेज, इतने कैमरे, और हमारे दादी-नानी तो अपनी चाय पर ही जल रही हैं!” उफ़्फ, उन सुलझे हुए इन्फ्लुएंसरों के फोटोशॉप वाली लाइफ के सामने शाहरुख़ की ये सच्ची जीत, एकदम असली दही-शक्कर की तरह लग रही है।

सोशल-मीडिया का नमक

कहा सुना है कि ट्विटर के तीर कूट-नींद उड़ गए इस खबर पर। “उन्होंने पुरस्कार अपने घायल हाथ से ऐसा लिया जैसे हमारी मोहल्ले वाली बिच्छू आंटी अपनी तज़कीरे करती है।” हँसते हँसते लोग जल रहे हैं, और मैं भी। आखिर, किसने कहा कि हार का घूंट मीठा नहीं होता? यहाँ तो जीत की मस्ती में भी थोड़ा सा जलन ज़रूरी है, है के नहीं?

आंटी लोगों की आख़िरी फूँ-फाँ

और मोहल्ले की आम आंटियाँ भी पीछे कहाँ रहने वाली थीं? WhatsApp वाली बुआ बोलीं, “देखो देखो, ये गैर-सरकारी अवॉर्ड कोई मुँह ताककर नहीं दिलाता।” अब इसमें थोड़ा सा रस घोलते हुए उन्होंने ये भी फुससाया, “शाहरुख़ के घायल हाथ वाले वाक्य ने तो हमारी मुलभरी पत्तियों से दाल तक उबलवा दी।” वाह रे जलन की बातें, मज़ा आ गया सुन के!

अंत में तो यही कहना पड़ेगा कि भले ही श्री-देव ने एक हाथ से ये अवॉर्ड पकड़ा हो, पर हम सबकी जलन के दोनों हाथ फैल गए हैं। अब हम भी दही-शक्कर खाकर लाइक्स बटोरने चलें…

अगली ज़ोरदार जलन के लिए पढ़ते रहिए Jelousy News!

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