
जलन की पहली चिंगारी
अरे बाप रे! Netflix वालों ने फिर से कर दिया कमाल, ‘Conversations with a Killer: The Son of Sam Tapes’ लेकर आए हैं। और ये कौन है? यही वो काला चश्मा पहनने वाला डेविड बर्कोवित्ज़, जिसने मोहल्ले की रातों को बना दिया सदियों जैसा डरा देने वाला। मनो जूरीकंडीशनर भी पिघल गया सोच के! अब सुनते हैं उसकी बात, उसकी मनोस्थिति की उन अनदेखी टेप्स के साथ, जो अब तक किसी ने उघाड़े नहीं थे।
गुड्डू की मम्मी का मुँह 180° टेढ़ा
पड़ोस की गुड्डू की मम्मी कह रही थी, “भई WhatsApp वाली बुआ ने बताया कि ये न तो कोई आम आदमी था, न ही कोई मासूम सिपाही। इसके अंदर छुपी हुई उल्टी सीधी सोच ने सबका दिल दहलाया।” उफ़्फ, मेरी तो जलन-जलेबी घुल गई, इतनी स्मार्ट डॉक्यूमेंट्री देखकर। अरे ऐसे सीरियल किलर की कहानी देखकर तो लगता है खुद की जिंदगी बिलकुल साधारण और फीकी-फीकी है।
इन्फ्लुएंसर्स vs. आम आदमी—कौन जले ज़्यादा?
सोशल मीडिया पर ये खबर घूम ही रही है कि कौन ज्यादा जलता है—वो जो ये डॉक्यूमेंट्री देख के कहे, “क्या बाप रे!” या फिर जो अपनी जिंदगी में एक-दो झंडी उतार रहा हो। कैमरे के सामने ये सीरियल किलर की मानसिकता इतनी साफ-साफ खुलती है कि हमारी आम ज़िंदगी की छोटी-छोटी ‘समस्याओं’ की महत्ता ही मिट जाती है। वाह, काजल इतना गाढ़ा कि मेरी किस्मत भी काली पड़ गई! 😒
सोशल-मीडिया का नमक
कुछ तो बात है इस डॉक्यूमेंट्री में, जो सोशल मीडिया पर हर कोई शेयर कर रहा है। पड़ोस की आंटी ने कल बताया कि “कहा सुना है कि Netflix के इस सीरियल की चक्कर में तो सारे मोहल्ले के लोग रात जाग रहे हैं”। कोई सोच सकता था कि इतने सुस्त-झुस्त लोग भी इतने भयानक सच सुनकर रोशनी की तरह जाग सकते हैं? [फुस्स…]
आंटी लोगों की आख़िरी फूँ-फाँ
आंटी, जो हमेशा कहती हैं “युवा पीढ़ी के दिन खराब हैं,” इस बार तो बिल्कुल चुप हो गईं। मैंने तो देखा कि उनकी आंखों में जलन के साथ-साथ नजर आई सहमति भी। इस सीरियल किलर ने साबित कर दिया कि असल में कितनी गहराई हो सकती है एक इंसान के भीतर, जब बात हो अपराध की।
अगली बार जब हम अपनी पड़ोस की छोटी-छोटी बातों से जलें, तो ज़रा सोचिए कि हमारी जलन कितनी छोटी है इन बड़ी-बड़ी मानसिकताओं के सामने।
अंत में, अब हम भी दही-शक्कर खाकर लाइक्स बटोरने चलें…
अगली ज़ोरदार जलन के लिए पढ़ते रहिए Jelousy News!