
कृति सैनन ने बॉलीवुड की उस कड़वी सच्चाई को बेबाकी से सामने रखा है कि वहां लड़कियों को बराबर का बजट नहीं मिलता और बड़े प्रोजेक्ट्स अधिकतर लड़कों को ही मिलते हैं।
जलन की पहली चिंगारी
कृति ने बताया कि ‘फीमेल-लेड’ फिल्मों में पैसा मशहूर हीरोइनों के पीछे ही जाता है, जिससे आम लड़कियों के सपने अधूरे रह जाते हैं। यह समस्या सिर्फ फिल्मों तक सीमित नहीं, बल्कि असल ज़िंदगी में भी मौजूद है।
प्रोड्यूसर्स का डर और मुनाफा
प्रोड्यूसर्स का मानना है कि लड़कियों वाले प्रोजेक्ट्स में पैसा लगाने पर मुनाफा कम होता है। कृति का कहना है कि उनके बजट भी लड़कों जितने होने चाहिए, जो कि एक महत्वपूर्ण मुद्दा है।
इन्फ्लुएंसर्स vs. आम आदमी
सोशल मीडिया पर स्टार्स की चमक-धमक तो देखने को मिलती है, लेकिन असल समस्या छुपी रहती है। कई लोग कहते हैं कि बड़े नाम-पैसे स्टार्स के चमक-धमक वाले कपड़ों में जाते हैं, न कि बराबरी की बात उनके बजट में।
आंटी लोगों की प्रतिक्रिया
हालांकि कई अफवाहें चलती हैं, कृति ने हिम्मत दिखाकर कहा कि जिन फिल्मों में वे हीरोइन होती हैं, वहां भी बजट कम मिलता है। इस बात से मुंबई के निर्माता खासे अकड़ जाते हैं और बहस जारी रहती है।
इस पूरी कथा से यह स्पष्ट होता है कि बॉलीवुड में लैंगिक बजट असमानता अभी भी एक बड़ा मुद्दा है, जिसके लिए लड़कियों को बराबर का सम्मान और मौके मिलने चाहिए।
आइए, हम भी प्रेरणा लें कृति सैनन जैसी लड़कियों से, जो इस भेदभाव के खिलाफ आवाज उठा रही हैं।