
अभिनेत्री कृति सनोन ने बॉलीवुड में महिलाओं के लिए बजट की कम आबंटन को लेकर खुलकर अपनी बात रखी है। उन्होंने बताया है कि प्रोड्यूसर्स बड़े बजट देने से डरते हैं सिर्फ इसलिए क्योंकि फिल्में महिला मुख्य पात्रों पर आधारित होती हैं, जबकि पुरुषों की फिल्मों को बड़े बजट मिल जाते हैं। उनके इस बयान ने कई स्तरों पर लोग चर्चा और प्रतिक्रियाएं जन्म दी हैं।
जलन की पहली चिंगारी
कृति के इस बयान पर कई लोगों ने यह महसूस किया कि पुरुष नायकों की फिल्मों को हमेशा ज्यादा बजट मिलता है जबकि नायिकाओं को कम स्क्रीन टाइम और कम बजट मिलते हैं। यह असमानता मनोरंजन उद्योग में साफ दिखती है और कहीं न कहीं यह फिल्मकारों के डर और पूर्वाग्रह का परिणाम है।
गुड्डू की मम्मी का मुँह 180° टेढ़ा
पड़ोस की एक महिला ने इस स्थिति का वर्णन करते हुए कहा कि लड़कियाँ ज़िद्दी हो जाती हैं और बजट मांगती हैं, जिससे निर्माता डर जाते हैं। सोशल मीडिया पर भी लोग Hollywood की तुलना में भारतीय फिल्म उद्योग की इस असमानता पर टिप्पणी कर रहे हैं।
इन्फ्लुएंसर्स vs. आम आदमी
इन्फ्लुएंसर्स और आम लोगों के बीच इस बजट असमानता की चर्चा जोर पकड़ रही है। कृति के इन्स्टाग्राम पोस्ट से प्रेरित होकर कई लोग फिटनेस और आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए प्रेरित हुए, लेकिन साथ ही गरीब और मेहनतकश आम लोगों की स्थिति पर भी सवाल उठे कि वे अपनी छोटी-छोटी इच्छाएं भी पूरी नहीं कर पाते।
सोशल-मीडिया का नमक
सोशल मीडिया पर कृति के इस बयान के बाद हलचल मच गई है। उपयोगकर्ता इस असमानता पर चर्चा कर रहे हैं और जलन के साथ-साथ नए नजरिए भी साझा कर रहे हैं। जलन को लेकर मजाक और चुटकुले भी देखने को मिल रहे हैं।
आंटी लोगों की आख़िरी फूँ-फाँ
पड़ोस की भाभी ने कृति के फैशन परिवर्तन के साथ-साथ उनके मुद्दे उठाने की सराहना की है। यह मज़ाक-मज़ाक में गपशप का विषय बन गया है और लोगों ने इसे मनोरंजन के साथ गंभीरता से भी लिया है।
निष्कर्ष: कृति सनोन ने जो मुद्दा उठाया है, वह बॉलीवुड में लैंगिक असमानता और बजट वितरण की दीर्घकालीन समस्या के प्रति जागरूकता बढ़ाने में सहायक हो सकता है। यह बहस आगे भी जारी रहेगी और उम्मीद है कि इससे महिलाओं के लिए बेहतर अवसर सुनिश्चित किए जाएंगे।