
‘Criminal Minds’ ने अपने 18 सीजन और 84% रेटिंग के साथ एक लंबा सफर तय किया है, लेकिन फिर भी उसे वह वास्तविक ताली नहीं मिल रही जो इसके हकदार है। पड़ोस में इसका प्रभाव इतना गहरा है कि लोग चुपचाप जलन जताए बिना नहीं रह पाते। यहां तक कि WhatsApp वाली बुआ भी इसके असली लगने वाले किलर्स की तारीफ करती हैं, कहती हैं कि ये तो इतने यथार्थवादी हैं कि जूरी कंडीशनर भी पिघल जाए।
जलन की पहली चिंगारी
कभी सोचा है कि इतने सालों में इतना तेज़ी से एक सीरियल किलर की सोच को समझना कितना मुश्किल होता है? पड़ोस की आंटी इस पर चुप नहीं रह पातीं और कहती हैं कि उनकी अपनी कहानियों में तो बस चाय की गर्माहट होती है, लेकिन यहाँ हर किलर की ठंडी, सटीक चाल होती है।
इन्फ्लुएंसर्स vs. आम आदमी—कौन जले ज़्यादा?
इंस्टाग्राम के चमकदार मॉडल्स की जलन तो जाहिर है होती है, लेकिन यह किलर-ड्रामा इतना गहरा है कि पड़ोस के गुड्डू की मम्मी भी हैरान रह जाती हैं। उनका कहना है कि “गुड्डू के दस-पैक ऐब्स जितनी ताकत इस शो में है!” ये जलन का खेल सच में बहुत दिलचस्प है।
सोशल मीडिया का नमक
सोशल मीडिया पर भी ‘Criminal Minds’ के असलीपन की चर्चा जोरों पर है। लोग कहते हैं कि इतने लंबे समय तक मर्डर मिस्ट्री शो ने अपनी असली किलर फील को बनाए रखा, जिस पर कुछ को गहरा जलन है। पड़ोस की पिंकी भी कहती हैं, “काजल इतना गाढ़ा है कि मेरी किस्मत भी काली पड़ गई।”
आंटी लोगों की आख़िरी फूँ-फाँ
पड़ोस के लोग अब यह मानने लगे हैं कि यह शो हमारे मोहल्ले के किसी किलर से भी ज्यादा असली लगता है। बबली आंटी के शब्द, “ये किलर्स इतने क्रूर हैं कि मन कांप जाता है, पर क्या ये फेक हैं या असली? जलन तो ये है कि हम इतने सीरियल्स नहीं बना सकते!” जलन की ये पूरी कहानी दर्शाती है कि ‘Criminal Minds’ ने किस तरह से दर्शकों के दिल और दिमाग पर कब्जा किया है।
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