
जलन की पहली चिंगारी:
अरे बाप रे, सुनते ही तहखाने से उठी आवाज़ जैसे कोई पुराने जमाने की फिल्म का कालेज बादल! रवीना टंडन, वो वापस 90 के दशक की सुपरहिट हिरोइन, जिनका नाम सुनते ही दिल में प्यार और थोड़ी जलन-आलाप का तूफ़ान आता है। कहती हैं, कि ज़माने के जुलूम वाले गॉसिप मैगजीन्स ने उन पर body shaming की बम फेंका था! “थंडर थाइज” जैसे ताने, जो सुनकर मेरा जोश कहते हुए थर्रा गया कि ये बात तो कोई आंटी की जुबान पर भी आते-आते हाथ जलाए।
गुड्डू की मम्मी का मुँह 180° टेढ़ा:
क्या बात कर रहे हैं हम लोग? हां, वही रवीना जिन्हें आज भी देखते ही लगता है जैसे गर्मी में वाटरमेलन की ताज़गी। लेकिन उन दिनों, अरे पता नहीं, कौन सी मैगजीन्स थी जो गुरुत्वाकर्षण को इनके खिलाफ इस्तेमाल करती थी। WhatsApp वाली बुआ ने बताया था कि कैसे उन्हीं के ‘थंडर थाइज’ पर हर महौल में माहौल गर्म हो गया। मनो जूरीकंडीशनर भी पिघल गया! अब बताओ, ये सबकों कैसे सहा!
इन्फ्लुएंसर्स vs. आम आदमी—कौन जले ज़्यादा?
अब आपको बताऊं, ये तो वही बात हुई कि एक तरफ हमारे प्यारे इन्फ्लुएंसर्स, जो अपनी perfect कैमरे के सामने वाली चिंगारी जलाते हैं, और दूसरी तरफ आम आदमी, जो दिल में जलन लिए बैठा है! पर सोचो, 90 के दशक में तो सोशल मीडिया भी नहीं था, फिर कैसे जलती थीं ये सितारे? तो जवाब है:
- जहरीली मैगजीन्स
- उनके कटाक्ष
- सुनसान गपशप की आग
सोशल-मीडिया का नमक:
आजकल तो हर कोई इंस्टा पर चश्मा-ग्लास पहनकर, टिप-टॉप कपड़ों में photo डालता है और हमें जलनी पड़ती है। लेकिन उस दौर में रवीना जैसी हसीनाओं को कैसे जलाया जाता था? उन्हीं की चर्चा में जलन की नयी परतें चढ़ती थीं। वाह, काजल इतना गाढ़ा कि मेरी किस्मत भी काली पड़ गई!
आंटी लोगों की आख़िरी फूँ-फाँ:
अरे प्लीज, पड़ोसन की आंटी से पूछो जो चॉकलेट और कटलेट के बीच चाय के कप हिलाते हुए कह रही हों, ‘अच्छा ये देखो, रवीना टंडन के उनके थंडर थाइज कैसे चर्चा में हैं, हमारे गुड्डू के रिजल्ट से ज्यादा चर्चा!’ आखिरकार, ये जलन, ये तानों का खेल, जो हमें बचपन से सिखाया गया है, जिंदगी के हर सीन में ज़रूर आता है।
तो भई, जलन तो सबकी अपनी-अपनी है, पर जो हँसते-हँसते जल जाते हैं, वही असली कलाकार होते हैं। अब हम भी दही-शक्कर खाकर लाइक्स बटोरने चलें…
अगली ज़ोरदार जलन के लिए पढ़ते रहिए Jelousy News!