
बॉलीवुड में लड़कियों की असमानता
बॉलीवुड की दुनिया में बजट लेकर लड़कियों के साथ जो भेदभाव हो रहा है, उस पर कृति सनॉन ने खुलकर अपनी बात कही है। उन्होंने बताया कि बड़े बजट वाली फिल्मों में प्रोड्यूसर अक्सर लड़कियों को लीड रोल में लेने से कतराते हैं, जिससे लड़कियों के लिए कम मौके और कम पैसा मिलता है।
पड़ोस की चुगली और सामाजिक प्रतिक्रिया
- आशा आंटी: उन्होंने लड़कों के लिए सपनों का पैकेज मिलने और लड़कियों को कम उम्मीद मिलने पर हैरानी जताई।
- चुगली मिशन: पड़ोस की महिलाएं इस विषय पर खूब बातें करती हैं, जो सामाजिक सोच का आईना है।
सोशल मीडिया का असर और प्रतिक्रियाएँ
सोशल मीडिया पर इस विषय पर बड़ा ड्रामा हुआ, जिसमें लड़कियाँ चर्चा का केंद्र बनीं, जबकि लड़कों की प्रतिक्रियाएँ कमजोर रहीं। कृति सनॉन ने बेजिझक अपनी बात रखी, लेकिन आंटी लोग छोटी-छोटी फिल्मों में लड़कियों की चमक देखना चाहते थे।
सामाजिक मुद्दे और असमानता
- महिलाओं के बराबर अधिकार की बातें तो होती हैं, लेकिन बजट और पैसा वही बराबर नहीं मिलता।
- प्रोड्यूसर्स और निर्माता अपनी जेब के हिसाब से ही फिल्में बनाते हैं, जिससे असमानता बनी रहती है।
- कुछ लोग इस लड़ाई को घमंड की लड़ाई समझते हैं, जो सामाजिक जलन को दर्शाता है।
अंतिम विचार
अक्सर बराबरी की मांगों को जलन और आलोचना के रूप में देखा जाता है, जो दर्शाता है कि समाज में अभी भी इस मुद्दे को समझने और स्वीकारने की जरूरत है। अगली बार जब किसी बड़ी सेलिब्रिटी पर चर्चा हो, तो इन सामाजिक पहलों और चुगलीयों को नजरअंदाज न करें।
जलन और आलोचना के बीच से सही बातें निकालकर ही बॉलीवुड में बदलाव संभव है।