
पॉडकास्टिंग की दुनिया में अब एक बड़ा बदलाव आ चुका है। धीरे-धीरे ऑडियो सीरियल की जगह वीडियो पॉडकास्टिंग ने अपनी पकड़ मजबूत कर ली है।
वीडियो-सेंट्रिक पॉडकास्टिंग का उभार
अब वीडियो वाले पॉडकास्ट इतने लोकप्रिय हो गए हैं कि पुराने ऑडियो सीरियलों का दौर लगभग खत्म होने लगा है। कई पुराने श्रोताओं को यह बदलाव थोड़ा अलग और नया लगता है, लेकिन सोशल मीडिया की चमक-दमक से ये बदलाव अवश्य हैं।
परिवार और आम लोगों की प्रतिक्रियाएं
- पड़ोस की गुड्डू की मम्मी जैसे लोग वीडियो पॉडकास्टिंग के बढ़ते प्रभाव से थोड़े जलन महसूस कर रहे हैं।
- आंटी-औरनाज़ मामी जैसी महिलाएं सोशल मीडिया पर पुरानी यादों को याद करती हैं और कहती हैं, “कहाँ गई वो पुरानी मस्ती?”
इन्फ्लुएंसर्स का बढ़ता दबदबा
इन्फ्लुएंसर्स अब वीडियो पॉडकास्ट के ज़रिए और भी ज्यादा चमकदार नजर आते हैं। इनके एडिटिंग ट्रिक्स और विज़ुअल्स ने दर्शकों को आकर्षित किया है, जिससे पुराने ऑडियो पॉडकास्ट की लोकप्रियता घटती जा रही है।
सोशल मीडिया की भूमिका
फेसबुक, इंस्टाग्राम, ट्विटर जैसे प्लेटफ़ॉर्म ने वीडियो कंटेंट को प्रमोट करके इसका स्वाद और भी गाढ़ा कर दिया है। श्रोताओं में सुनने की बजाय देखने की आदत-ज्यादा बढ़ती जा रही है।
निष्कर्ष
चाहे पुराने श्रोताओं की कुछ जलन हो या नए कंटेंट क्रिएटर की चमक, यह निश्चित है कि अब केवल सुनना नहीं, देखना भी ज़रूरी हो गया है। पॉडकास्टिंग की दुनिया में वीडियो का ज़माना आ गया है, और यह ट्रेंड आने वाले समय में और भी प्रबल होगा।