
जलन की पहली चिंगारी
अरे वाह भई वाह! शाहरूख ख़ान ने आखिरकार अपने पहले नेशनल अवॉर्ड को गले लगाया—पर देखो देखो, वो भी हाथ में चोट के साथ! मनो जूरीकंडीशनर भी पिघल गया सुन के कि शाहरूख अपनी ‘एक हाथ फेला’ मुद्राएँ बनाते हुए बोले, “ये अवॉर्ड फैंस के लिए है, उन सारे आंसुओं के लिए जो हमने साथ-साथ झेले हैं।” उफ़्फ, मेरी तो जलन-जलेबी घुल गई! पड़ोस की बिच्छू-आंटी अभी तक यह सोच रही हैं कि ये सब ड्रामा है या असली भावुकता।
गुड्डू की मम्मी का मुँह 180° टेढ़ा
क्या कहें, गुड्डू की मम्मी ने तो अगले ही दिन WhatsApp वालों को बताया, “देखों, खान साहब घायल होकर भी इतने बड़े अवॉर्ड ने लिया, ऐसे तो हमारे गुड्डू को भी एक देश-विदेश का पैकेज मिलना चाहिए!” अरे बाप रे, गुड्डू भला अवॉर्ड लगाएगा या बिजनेस क्लास में बैठेगा, ये सोचकर आंटी लोग तो होश फाख्ता हो गए। शाहरूख की चुप्पी ने तो उनकी पूरी सोच ही बिगाड़ दी।
इन्फ्लुएंसर्स vs. आम आदमी—कौन जले ज़्यादा?
अब ये सोचो, इंस्टा वाले “परफेक्ट” पिक्चर्स से भरे हुए हैं, घर-घर में रास्ता साफ़ कर देते हैं अपनी रंगीन ज़िंदगी के। लेकिन शाहरूख ने सच में इतना दर्द, प्यार, और मेहनत दिखा के ये नेशनल अवॉर्ड लिया, जो जलन को और तेज कर गया। पड़ोस की आंटी लोग कहती हैं, “कहाँ की तो चमक और कहाँ की असली काबिलियत!” अरे वाह, हम तो कहते हैं, अगली बार अपनी 10-पैक ऐब्स दिखाकर आओ, भई!
सोशल-मीडिया का नमक और मसाला
अब तो सोशल मीडिया पर शाहरूख के इस जज्बे और दर्द भरे अंदाज़ के पर गपशप का तड़का लग गया है। कहा जा रहा है कि यह अवॉर्ड उनकी मेहनत का फल है, पर आंटी लोग कब मानने वाली? “कहा सुना है कि यह सब सिर्फ दिखावा है,” यहां तक सुना है कि उनके चोट की कहानी भी ब्रेकअप ड्रामा से कम नहीं। वाह, यह तो वो राज़ है जो सिर्फ मोहल्ले की टपोरी चर्चा में छुपा है।
आंटी लोगों की आख़िरी फूँ-फाँ
और आखिर में, पड़ोस की आंटी लोग जलन में कह रही हैं, “चलो, हम भी दही-शक्कर खाकर लाइक्स बटोरने चलें।” क्योंकि असली जलन तो उस वक्त होती है, जब कोई चमकता है और हम सिर्फ खुद की परछाइयों में उलझे होते हैं। झूठी कसम, शाहरूख का ये जज्बा देखकर तो मन कहता है, चलो जी, थोड़ा जल लें और फिर प्यार से गपशप करें।
अब हम भी दही-शक्कर खाकर लाइक्स बटोरने चलें…
अगली ज़ोरदार जलन के लिए पढ़ते रहिए Jelousy News!