
अरे बाप रे! आपने सुना या नहीं, ये ‘क्रिमिनल माइंड्स’ नाम का सीरियल—18 सीजन का, मतलब बच्चों के बराबर लंबा—जिसकी Rotten Tomatoes पर 84% रेटिंग है, फिर भी उसके क्रूर कातिलों की सच्चाई पर कोई चर्चा नहीं करता! पता नहीं, क्या जलन है या अनदेखा करना, पर पड़ोस की बुआ तक कहती हैं, “कहाँ तो ये सीरियल था, और कहाँ हमारे रंजिश वाले ड्रामे!” 🤯
जलन की पहली चिंगारी तो तब लगी जब हम देख रहे थे ये सीरियल और सोच रहे थे, “वाह! कितनी गहराई से इन मनोवैज्ञानिक हत्यारों को दिखाते हैं!” पर लोगो को क्या, हर रोज़ बस ‘सपना के नए लहंगे’ और ‘मोनिका की अठखेलियाँ’ पर ही ध्यान है। मनो जूरीकंडीशनर भी पिघल गया इस कातिलों की रियलिटी देखकर! 😏
गुड्डू की मम्मी का मुँह 180° टेढ़ा हो गया ये जानकर कि इतने सारे सीजन के बाद भी ये शो Netflix वाले की पहली पसंद में शामिल नहीं! जहां बाकी इन्फ्लुएंसर्स की छुट्टियां ही चर्चा का केंद्र हैं, वहीं ये सीरियल—जो अपराध की दुनिया को इतने सच के करीब ले जाता है—उसे भुला दिया गया। अरे, WhatsApp वाली बुआ कहती हैं, “कम से कम कोई तो दिखाए हमारे शहर के मासूमों की असली कहानी!”
इन्फ्लुएंसर्स vs. आम आदमी—कौन जले ज़्यादा? इस सवाल पर पड़ोस की आंटी का बयान सुनो: “इतने चमकते सितारे हैं हमारे Insta के, पर ये ‘क्रिमिनल माइंड्स’ वाले तो असली हीरो हैं! पर क्या करें, किसी को उनकी काबिलियत दिखाना मंजूर ही नहीं।” सोशल मीडिया का नमक तो बस उसी इन्फ्लुएंसर की मिक्सिंग में है, इस कड़ी में ये शो बस अधख़ा रह गया।
आंटी लोगों की आख़िरी फूँ-फाँ भी बेकार साबित हुई क्योंकि ‘क्रिमिनल माइंड्स’ के स्निकर्स और होश उड़ाने वाले किस्से हर नए एपिसोड में बढ़ते ही चले गए। इतना दर्शक जुड़ा रहा कि पड़ोस का चंदू भी कहने लगा, “कुछ तो बात होगी इस सीरियल में!”
तो दोस्तों, अगली बार जब आप किसी चमकते सितारे की तारीफ़ करेंगे, तो ‘क्रिमिनल माइंड्स’ को भी एक नजर जरूर दें—क्योंकि असली जलन तो उनके सच्चे क्रूर किरदारों से ही होती है। अब हम भी दही-शक्कर खाकर लाइक्स बटोरने चलें…
अगली ज़ोरदार जलन के लिए पढ़ते रहिए Jelousy News!