
चेतन हंसराज ने अपनी मेहनत के उन दिनों को याद करते हुए बताया कि वे 22 घंटे बिना रुके काम करते थे और बीच-बीच में छोटी-छोटी झपकियाँ लेकर अपनी जान निकालते थे। उस दौर में टीवी पर काम करना इतना कड़ा था कि आराम का मौका भी नहीं मिलता था।
यहाँ कुछ महत्वपूर्ण बातें हैं जो उन्होंने साझा कीं:
- 22 घंटे लगातार काम करना और नींद के लिए छोटे-छोटे ब्रेक लेना।
- सोशल मीडिया पर मेहनत की जगह सिर्फ सेट्स की चकाचौंध दिखाई जाती है।
- ऐसे मेहनती कलाकारों की वजह से बड़ी फिल्मों और सीरियलों के निर्देशक अपनी मंजिल पाते हैं।
- लोग आमतौर पर इन कलाकारों की मेहनत को भूल जाते हैं और सिर्फ उनकी चमक-दमक देखते हैं।
इसके अलावा, पड़ोसन की अपनी बुआ ने भी इस मेहनत की भरपूर तारीफ की, जिससे मोहल्ले की आंटियाँ भी प्रभावित हुईं।
निष्कर्ष: मेहनत की यह कहानी हमें याद दिलाती है कि सफलता के पीछे कितनी कठिनाई और समर्पण छुपा होता है। ऐसे कलाकारों की प्रेरणा हमें भी मेहनत करने के लिए प्रोत्साहित करती है, बजाय केवल लाइक्स और सोशल मीडिया की चमक-दमक के पीछे भागने के।