
ओ बाप रे बाप! जब से सुना है कि पाकिस्तानी ड्रामे इंडियन सीरियल्स से भी ज़्यादा ड्रामेबाज़ और मसालेदार हैं, मेरी तो जलन-चीनी घुल गई! 🤯 दूध में पानी मिलाकर जो सीरियल इंडियन टीवी पर चलता है, वो तो जैसे हरी मिर्च की जगह मीठी मिर्च डाल दी हो—कहीं की नहीं। लेकिन ये “सुनो चंदा“, “सुन मेरे दिल”, और “कभी मैं कभी तुम” जैसे नाम सुनते ही पड़ोस की आंटी की जुबान पर लगी आग जली! 😒 कहती हैं—”अरे, पाकिस्तानी ड्रामे में तो कहानी इतनी उलझी होती है कि मनो जूरीकंडीशनर भी पिघल जाए!” 😏
जलन की पहली चिंगारी तब लगी जब व्हाट्सएप वाली बुआ ने बताया कि पाकिस्तानी सीरियल के हर एपिसोड में ऐसा ट्विस्ट आता है कि हमारे सीरियल का अगला हफ़्ता तक इंतज़ार मज़ा नहीं देता। वो तो फिर हमारी गुड्डू की मम्मी का मुँह 180 डिग्री टेढ़ा हो गया। कहती हैं, “हमारे यहां तो 10 पैकेज वाले लड़के की कहानी में जलेबी की मिठास भी न हो।”
इन्फ्लुएंसर्स vs. आम आदमी — कौन जलता ज़्यादा? पता नहीं! लेकिन पाकिस्तान के सीरियल का ड्रामा देख, हमारे मोहल्ले की चाय वाली आंटी कहने लगी, “इन्फ्लुएंसर की तरह तो ये सीरियल हर रोज़ नया मसाला डालते रहते हैं, और हमारी ज़िंदगी के जैसे नीरस नहीं।” सोशल-मीडिया की महफ़िल में तो ये बातें आग पर घी का काम करती हैं।
आंटी लोगों की आख़िरी फूँ-फाँ तब हुई जब “सुनो चंदा” वाले सीरियल के किरदारों की स्टाइल और डायलॉग सुनकर वे पक्के फैन बन गईं। “अरे काजल इतना गाढ़ा कि मेरी किस्मत भी काली पड़ गई!” कहती हैं वो, “इन पाकिस्तानी ड्रामों ने ये सिखाया कि कैसे घर-घर की चुगली में मसाला डाला जाए।”
तो अब हम भी दही-शक्कर खाकर लाइक्स बटोरने चलें…
अगली ज़ोरदार जलन के लिए पढ़ते रहिए Jelousy News!