September 11, 2025
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हिंदी फिल्म उद्योग में महिलाओं की फिल्मों के बजट को लेकर एक बड़ा खुलासा हाल ही में कृति सैनन ने किया है। उनका कहना है कि प्रोड्यूसर बड़े बजट की फिल्मों के लिए डरते हैं, खासकर जब हीरोइन की फीस हीरो से ज्यादा हो। यह बात फिल्म जगत में कई वर्षों से छिपी हुई समस्या को उजागर करती है।

जुबानी सच और सामाजिक प्रतिक्रिया

कृति का बयान कुछ इसी तरह था जैसे पड़ोस की बिच्छू आंटी ने किसी बड़े राज़ को खोल दिया हो। उनका कहना है कि महिलाओं की मुख्य भूमिका वाली फिल्मों को भी वो बजट मिलना चाहिए जो पुरुषों को मिलता है। इस खुलासे के बाद फिल्म जगत के कई लोगों ने इस बात को स्वीकार भी किया है, और माना है कि असलियत में महिलाओं को कम बजट पर काम करना पड़ता है।

सामाजिक असमानता का दर्द

फिल्म इंडस्ट्री में महिलाओं को मिलने वाले कम बजट के कारण उनके काम और फिल्म की क्वालिटी पर असर पड़ता है।

  • पुरुषों को बड़े बजट और बेहतर संसाधन मिलते हैं।
  • महिलाओं को छोटे बजट पर काम करने के लिए मजबूर होना पड़ता है।
  • प्रोड्यूसर इस बात से डरते हैं कि ज्यादा इन्वेस्टमेंट पर फिल्म सफल होगी या नहीं।

सोशल मीडिया और दर्शकों की भूमिका

सोशल मीडिया पर यह मुद्दा तेजी से चर्चा में आया है, जहां इन्फ्लुएंसर्स और आम दर्शकों ने इस असमानता को उजागर किया। हालांकि कुछ मामलों में इन्फ्लुएंसर्स को ज्यादा मौके मिलते हैं, लेकिन असली लड़ाई तो पर्दे के पीछे बजट की असमानता की है।

पर्दे के पीछे की हकीकत

असली मसला यह है कि बड़े बजट वाली फिल्में चमकदार होती हैं और उन्हें दर्शकों का अधिक ध्यान मिलता है। दूसरी और कम बजट वाली महिला कलाकारों की फिल्में संसाधनों की कमी के कारण सीमित प्रभाव डाल पाती हैं।

स्थानीय प्रतिक्रियाएं और सामाजिक दृष्टिकोण

फिल्म उद्योग की इस स्थिति पर पड़ोस की आंटियों और आम जनता की भी अलग-अलग प्रतिक्रियाएं देखी गई हैं।

  1. कई लोग मानते हैं कि पहले भी महिलाओं को कम मौके मिलते थे।
  2. कुछ का मानना है कि बदलाव ज़रूरी है और इस दिशा में कदम उठाए जाने चाहिए।
  3. अक्सर यह मुद्दा तवे के नीचे सेंके गए रोटी की तरह सामाजिक चर्चाओं का विषय बन जाता है।

निष्कर्ष

कृति सैनन जैसे बड़े कलाकारों द्वारा इस विषय को उठाना एक महत्वपूर्ण कदम है, जो हिंदी सिनेमा में लैंगिक असमानता को कम करने में मददगार होगा। उम्मीद है कि प्रोड्यूसर अब इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार करेंगे और महिलाओं को बराबर का मौका और बजट मिलेगा।

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