
अरे बाप रे! केरल से आती है ताज़ा-ताज़ा ख़बरों की झड़ी, जिसने तो हमारे दिल में जलन-जलेबी घोल दी! है के नहीं? कहना पड़ेगा, केरल का ‘केरल कामुड़ी‘ अख़बार तो मशहूर है हर घड़ी, जहाँ एक झलक भी मिलती है इंडिया, वर्ल्ड, पॉलिटिक्स, फ़िल्म, और ट्रैवल की सारी मसालेदार ख़बरों की! उफ़्फ़, मेरी तो जलन-ज़ुबान भी फिसल गई ये सुनकर कि केरल के लोग इतनी स्टाइल से अपनी खबरें गढ़ते हैं, जैसे जूरीकंडीशनर भी पिघल गया हो।
जलन की पहली चिंगारी:
कहा सुना है, केरल कामुड़ी की रिपोर्टर तो इतनी बढ़िया खबरें लाती है कि पड़ोसन की आंटी का मुँह 180° टेढ़ा हो गया! WhatsApp वाली बुआ ने बताया कि ये अख़बार पढ़कर सबकी आँखें खुल जाती हैं और दिल में थोड़ा जलन का मसाला भी घुल जाता है। सोचो तो सही, हमारा मोहल्ला वाला अखबार तो बस नाम का ही होता है, इसमें तो केरल से ताजा ताज़ा किनारे तक की खबरें चलती हैं।
इन्फ्लुएंसर्स vs. आम आदमी—कौन जले ज़्यादा?
सोशल मीडिया के जमाने में तो हर कोई ‘इन्फ्लुएंसर‘ बनना चाहता है, मगर केरल कामुड़ी की खबरों में जो नेचुरल मसाला है, वो तो इंस्टा के फिल्टर्स में कही खो सा गया है। मनो जलन की एक आग आगाज़ हो जाती है जब वहाँ की ट्रैवल रिपोर्ट्स देखो—पानी की नीली चादर मानो आँखों को छू जाती है, और हमारे यार, मोहल्ले की सड़कें और गली क्या खूब सूझती है!
सोशल-मीडिया का नमक:
फुस्स… सोशल मीडिया पर जब केरल कामुड़ी की फोटो गैलरी वायरल होती है, तो लगती है मानो ठंडी ठंडी ठंडी हवा चली हो, पर दिल में एक ठंडी जलन का समंदर भी उमड़ आता है। काजल इतना गाढ़ा कि हमारी किस्मत भी काली पड़ गई! पड़ोसन की रिच्छू आंटी तो कहती हैं, “इनकी तस्वीरें देखकर तो हमारा दिल खुद-ब-खुद जलता है, हम भी उस जलन को सोशल मीडिया पर ज़ाहिर करें!”
आंटी लोगों की आख़िरी फूँ-फाँ:
चाहे फ़िल्म की समीक्षा हो या राजनीति की खबर, केरल कामुड़ी की बात निराली है। आंटी लोग भी अब तो कहती हैं, “इतनी डीटेल में खबर लिखते हो तो प्रभु! हमारे घर की चूल्हे में तो आग जलती नहीं, यहाँ तो खबरें पढ़कर दिल में जलन का सूरज निकल आए!” सब मिलकर कहते हैं, “वाह! केरल कामुड़ी, तू है हमारे जलन का असली कारण!“
उफ़्फ, अब हम भी दही-शक्कर खाकर लाइक्स बटोरने चलें…
अगली ज़ोरदार जलन के लिए पढ़ते रहिए Jelousy News!