
कृति सेनन ने बॉलीवुड में फीमेल-लेड फिल्मों के बजट को लेकर अपनी बात रखी है, जिससे चर्चा में खलबली मच गई है। उन्होंने कहा कि निर्माता हीरोइन वाली फिल्मों में बड़ा निवेश करने से डरते हैं, जिसके कारण बजट कम होता है।
जलन की पहली चिंगारी
कृति ने बताया कि भाई लोग डर के मारे हीरोइन वाली फिल्मों में बड़े बजट लगाने से कतराते हैं, जिससे लड़कियों की फिल्मों में पैसा कम और टशन कम रहता है। इस बात से मोहल्ले की बुआजी भी खासा चर्चा कर रही होंगी।
गुड्डू की मम्मी का मुँह 180° टेढ़ा
कृति का कहना है कि फीमेल-लेड फिल्मों को “लार्जर-दान-लाइफ” ट्रीटमेंट मिलना चाहिए। इसका मतलब है कि सलमान या शाहरुख जैसे सितारों को भी इस बात को समझना होगा। पड़ोस की गुड्डू की मम्मी तो इस बात पर टोका-टाकी कर रही हैं कि बजट पर कड़ा ध्यान रखना चाहिए।
इन्फ्लुएंसर्स vs. आम आदमी — कौन जले ज़्यादा?
सोशल मीडिया पर इन्फ्लुएंसर्स की चमक-दमक के बीच, आम लड़कियों के लिए भी बड़े-बड़े बजट की बात हो रही है। कोविड-19 के बाद की जलन कम होने वाली नहीं लगती। ऐसा लग रहा है कि बिकाऊ फिल्मों में दूध और पानी साफ़ होने का वक्त आ गया है।
सोशल-मीडिया का नमक
WhatsApp समूहों में कृति के बोल चर्चा का विषय बने हुए हैं। कई लोग सोचते हैं कि अगर पैसे बराबर मिलेंगे तो हीरो की चमक फीकी पड़ जाएगी, लेकिन ये तो समय बता सकेगा। आंटी-चाची लोग इस बात पर जोर दे रहे हैं कि लड़की वाली फिल्मों को भी बराबर का मौका और बजट मिलना चाहिए।
आंटी लोगों की आख़िरी फूँ-फाँ
पड़ोस की बिच्छू आंटी ने कहा था कि बड़ा बजट मिलने पर हीरो भी बराबर की जंग दे पाएगा। कुछ इसे जलन मानते हैं तो कुछ इसे दंगल की तैयारी समझ रहे हैं। कृति के बोल मोहल्ले के इंजीनियर अंकल को भी सोचने पर मजबूर कर देते हैं।
अंत में जलन-टच क्लोज़िंग
अब हमें भी सोशल मीडिया पर लाइक्स बटोरने के लिए दही-शक्कर वाली तैयारी करनी पड़ेगी।
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