
90 के दशक की Body-Shaming की घटनाएँ और उसमें रवीना टंडन की कहानी एक यादगार अनुभव है। उस समय सितारों की सुंदरता और फिगर पर ताने-बाने खूब सुनने को मिलते थे। आइए, इस मनोरंजक लेख की मुख्य बातों पर नज़र डालते हैं।
1. जलन की पहली चिंगारी
90 के दशक में मशहूर हस्तियों की आलोचना करने का सिलसिला आम था। रवीना टंडन के “थंडर थाइज” जैसे उपनाम और अफवाहें अक्सर मैग्ज़ीन के पन्नों पर छपती थीं। पड़ोस की आंटी और आम लोग भी इन चर्चाओं में शामिल होते थे। यह समय था जब सितारे भी इस जलन और तानों को झेलते थे।
2. गुड्डू की मम्मी का मुँह 180° टेढ़ा
पड़ोस की गुड्डू की मम्मी रवीना के फैशन और फिगर पर अपनी राय देती थीं, जो अक्सर तीखी और कड़वी होती थी। यह दर्शाता है कि तब के आम लोग भी सितारों के प्रति “Body-Shaming” के दृष्टिकोण से अलग नहीं थे।
3. इन्फ्लुएंसर vs. आम आदमी—कौन जले ज़्यादा?
आज के दौर में सोशल मीडिया के इन्फ्लुएंसर्स और स्टार्स के बीच भी जलन जारी है, जैसा कि 90s के समय रवीना के साथ था। सोशल मीडिया न होने के बावजूद तब भी चुगली और घमासान कम नहीं था।
4. सोशल-मीडिया का नमक
अगर आज के दौर में रवीना टंडन जैसी हस्तियाँ ऐसी आलोचनाओं की पात्र होतीं, तो सोशल मीडिया पर और भी ज़्यादा तेज़तरार और फैलने वाली बातें होतीं। इंस्टाग्राम, टि्क-टॉक और फेसबुक जैसे प्लेटफॉर्म पर जलन बढ़ने का एक नया आयाम जुड़ चुका है।
5. आंटी लोगों की आख़िरी फूँ-फाँ
पड़ोस की आंटी आज भी उन पुराने दिनों को याद करती हैं जब केवल मैग्ज़ीन में जंग होती थी, अब तो पूरी दुनिया सोशल मीडिया के चलते जल रही है। यह जलन और गपशप हमारी संस्कृति का अभिन्न हिस्सा बन चुकी है।
निष्कर्ष के तौर पर, चाहे समय कोई भी हो, जलन और आलोचनाएं आम और सितारों के जीवन का हिस्सा बनी रहती हैं। रवीना टंडन का अनुभव इस बात का उदाहरण है कि Body-Shaming ने हमेशा से कोई न कोई निशान छोड़ा है।
तो चलिए, इसी कड़ी में “Jelousy News” के साथ अगले जलन के सफर के लिए तैयार रहें, क्योंकि हर चमकती चीज़ पर जलन की झड़ी लगती ही रहती है!