September 12, 2025
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अरे बाप रे! मिथुन चक्रवर्ती जी का जलवा तो है ही कुछ अलग ही श्रेणी में। कहते हैं, बॉलीवुड की पार्टी और अवार्ड फंक्शन? उनका तो नाम सुनते ही ये सवाल उठता है कि इतने बड़े स्टार होते हुए भी ये कैसे दूर-दूर रहते हैं? WhatsApp वाली बुआ ने तो बताया कि साहब के लड़के और परिवार वालों को ही रेगुलर टाइम देते हैं, बाकी की चमक-धमक तो बस दिखावे के लिए है। उफ़्फ, हमारी तो जलन-जलेबी घुल गई सुनकर कि ये स्टार 65 फिल्मों को एक साथ संभालते थे, और कुछ टाइम में 19 फिल्में एक साथ रिलीज़ की—मनो जूरीकंडीशनर भी पिघल गया।

जलन की पहली चिंगारी

माना कि बॉलीवुड में चमक-दमक बहुत होती है, कई सितारे तो स्टेज पर ऑस्कर लेने से ज़्यादा पार्टी में दिखने में लगे रहते हैं, वहां काजल इतना गाढ़ा कि हमारी किस्मत भी काली पड़ जाए। जबकि हमारे मिथुन दा, वे तो भई घर के चूल्हे से लगाव रखते हैं, और बताते हैं कि “मैं न तो गपशप करता हूं, न शराब पीता हूं, तो फिर क्यों जाऊं उन फंक्शन में?” वाह, क्या बात है, ये तो हमारे लिए सीख है। आंटी लोग कहती हैं कि ये बिंदास झक्कास अंदाज उनकी असली चमक है, न कि वो नकली सोने के हार या ब्रैंडेड कपड़े।

गुड्डू की मम्मी का मुँह 180° टेढ़ा

पड़ोस की गुड्डू की मम्मी जब ये सुनती हैं तो उनका मुँह 180 डिग्री टेढ़ा हो जाता है। “हमारी लड़कियों को तो बॉलिवुड पार्टी में जाना है, चमक-दमक में झूमना है,” वो कहती हैं, और कहते हैं, “अरे, ये मिथुन दा तो जमीन से जुड़े हैं, उन्होंने अपने काम से नाम कमाया, न कि गपशप से!” सच में, एक तरफ ये पार्टी-लविंग इन्फ्लुएंसर्स हैं जो हर दिन अपनी ‘परफेक्ट’ लाइफ दिखाते हैं, तो दूसरी ओर हमारे मिथुन दा जो बड़ी शांति से अपनी जिंदगी गुजार रहे हैं।

इन्फ्लुएंसर्स vs. आम आदमी—कौन जले ज़्यादा?

सोचो जरा, ये सोशल मीडिया वाले इन्फ्लुएंसर्स रोज़ाना ड्रामा, पार्टियां, डांस, और कपड़ों की अजीबोगरीब स्टाइल दिखाते हैं, और उनकी लाइफ देखकर तो आम आदमी की जलन ही नहीं, तो सुसताहट तक हो जाता है। वहीं मिथुन जी जैसे स्टारस परिवार को समय देते हैं, अपने मूल्यों को सम्मानित करते हैं, न कोई ड्रामा न गपशप। हे राम, अब समझो की असली जलन किसे कहते हैं? एसी में रहकर भी वो चमकते हैं, ये तो हमारे लिए जलन की सीधी टंकी है।

सोशल-मीडिया का नमक

टिक-टोक, इंस्टा रिपीट! ये सब सुनते-सुनाते ऐसे लगते हैं जैसे ये स्टार्स के फंक्शन बस सेल्फी लेने का जगह हो। हमारे मिथुन दा तो कहते हैं जलन के झमेले छोड़ो, काम से जियो, परिवार से जियो। क्या बात है, साहब! खुदा करे ऐसा ही सबको मिले। आंटी लोग तो यह तक कहती हैं कि इनकी सादगी में भी एक अलग ही चमक है, जो किसी पार्टी की चमक-दमक में नहीं।

आंटी लोगों की आख़िरी फूँ-फाँ

और जब सोमेश आंटी ने ये सुना तो बोलीं, “कहां वे पार्टियों वाले ड्रामे, नकली दोस्ती-यारी? असली हीरो तो वही जो अपनी दुनिया में खुश रहता है।” वाह जी, कमाल की बात! ऐसी बातों में तो मन आ जाता है कि हम भी अपने चूल्हे-चौके से लगाव करें, और गपशप छोड़कर असली काम करें। खुदा जाने कब हमारा भी नंबर आएगा!

आख़िर में हम तो यही कहेंगे, “अब हम भी दही-शक्कर खाकर लाइक्स बटोरने चलें…”

अगली ज़ोरदार जलन के लिए पढ़ते रहिए Jelousy News!

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