
अरे बाप रे! चार्ल्स सोभराज का नाम सुनते ही मोहल्ले की आंटी लोग जूरीकंडीशनर की तरह पिघल जाती हैं, और हमारी तो जलन-जलेबी सी घुल जाती है कि यार, ऐसा टफ-एंड-स्लिपरी बंदा कैसे दो बार भी पकड़ में आ गया इंस्पेक्टरजेंदे से? [फुस्स…] हवा ये भी चली है कि उसकी उन रहस्यमय करतूतों के पीछे क्या राज छुपा है, पर सच यही है कि उसका दिल इतना ठंडा था कि कड़ाही में तेल भी जलन से पूछे, ‘‘भाई, इतनी बेहयाई क्यों?”
जलन की पहली चिंगारी तो तब लगी जब मोहल्ले वालों ने सुना कि चार्ल्स के करतूतों के पीछे कोई पछतावा नहीं था। मतलब भई, हमारे यहां तो गलती हुई, मुँह में पानी भरते ही रो पड़ते हैं लोग, पर ये किंग कैसे ऐसा कर पाया? WhatsApp वाली बुआ बोली कि ऐसा बंदा देखने में तो इतना कूल लग रहा था कि काजल भी उसके समने पानी सीमत पड़ जाए!
गुड्डू की मम्मी का मुँह 180° टेढ़ा हो गया जब पता चला कि इंस्पेक्टरजेंदे ने दो बार उसे पकड़ ही लिया, पर फिर भी चार्ल्स ने इतनी बार फिसल कर पकड़ से निकल जाना भले ही आम लोगों के लिए बॉलीवुड की कहानी जैसा हो, हमें तो लगता है कि मोहल्ले की आंटी कोई सीक्रेट एजेंट ही होंगी जो कभी ये जासूसी खेल खेलती हैं!
इन्फ्लुएंसर्स बनाम आम आदमी — कौन जले ज़्यादा?
सोचना पड़ेगा, क्योंकि सोशल मीडिया पर जब ये कहानी फैल गई, तो दो तरह के लोग नज़र आए:
पहला समूह:
- जो चार्ल्स के स्लिपिंग स्किल्स पर जलते हैं।
दूसरा समूह:
- जो इंस्पेक्टरजेंदे की पकड़ पर फख्र महसूस करते हैं।
हमारे मोहल्ले की बुआ का कहना है, ‘‘इन दोनों में से कोई भी पेड़ा फोड़ेगा, यह तो वक्त ही बताएगा।’’
सोशल-मीडिया का प्रभाव
सोशल-मीडिया का नमक तो देखो! इस कहानी ने हर चौक पर, हर नुक्कड़ पर, हर दूकान की चौपाटी पर तड़का लगाया। पिंकी आंटी तो ये जताने लगीं कि,
‘‘यूनिवर्सिटी से निकले टॉपर भी कितने बेवकूफ साबित होते हैं।’’
और हम भी सोच रहे हैं, ‘‘काश हम भी इंस्पेक्टरजेंदे की तरह हो पाते!’’
आंटी लोगों की आख़िरी फूँ-फाँ तो तब सुनने को मिली जब उन्होंने कहा,
‘‘देखो देखो, जितनी बार ये पकड़ा गया, उतनी बार फिर निकल गया, अब बताओ, किस्मत में कितना जलना है हमें!’’
मनो जूरीकंडीशनर भी पिघल गया हो इस जलन की गर्मी में!
तो भाई, एक बात तय है, चार्ल्स सोभराज ने तो गपशप का नया अध्याय खोल दिया है, और हम भी दही-शक्कर खाकर लाइक्स बटोरने चलें…
> अगली ज़ोरदार जलन के लिए पढ़ते रहिए Jelousy News!